कैसे करें कुबेर की पूजा

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कुबेर
कुबेर

कुबेर हिन्दू धर्म के एक देवता हैं। इन्हें देवताओं का कोषाध्यक्ष माना जाता है। वाराह पुराण के अनुसार पहले जन्म में कुबेर दे गुणनिधि नाम के एक वेदज्ञ ब्राह्मण थे। माना जाता है कि लक्ष्मी जी की पूजा के साथ दिवाली पर कुबेर भगवान की भी पूजा अवश्य करनी चाहिए। माना जाता है कि कुबेर देव धरती में दबे हुए खजाने की रक्षा करते हैं।  

कुबेर पूजा मंत्र
इस मंत्र द्वारा कुबेर देव का ध्यान करना चाहिए-

आवाहयामि देव त्वामिहायाहि कृपां कुरु।
कोशं वद्र्धय नित्यं त्वं परिरक्ष सुरेश्वर।।

धन प्राप्ति के लिए कुबेर देव को इस मंत्र के जाप द्वारा प्रसन्न करना चाहिए-

* ‘ऊं श्रीं ऊं ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः।’

* ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दापय

* ‘ऊँ कुबेराय नमः।’

कैसे करें कुबेर की पूजा

धन प्राप्ति के लिए पूरे विधि विधान से कुबेर देव से पूजा करनी चाहिए। यह पूजा धनतेरस, दीपावली (Kuber Puja on Diwali) या किसी पंडित से पूछ कर श्रेष्ठ दिन करनी चाहिए। कुबेर देव को प्रसन्न के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन प्रातः उठकर सभी गृह कार्यों को पूरा कर लेना चाहिए। इसके बाद पूजा स्थान पर कुबेर देव की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। यदि घर में कुबेर देव की प्रतिमा न हो तो घर की तिजोरी या धन रखने का बक्सा भी प्रयोग में लाया जा सकता है।

यदि पूजा में तिजोरी या बक्से का प्रयोग कर रहें हैं तो उस पर रोली से स्वस्तिक बनाना चाहिए। परंतु मूर्ति का प्रयोग कर रहे हैं तो उसके सामने स्वस्तिक का चिह्न बनाना चाहिए। इसके बाद पूरी श्रद्धाभाव से मंत्रों का जाप करते हुए कुबेर देव का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद ‘ऊँ कुबेराय नमः’ मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए। अंत में तिजोरी या कुबेर देव की धूप, दीप, फूल व गंध से उनकी पूजा करनी चाहिए।     

धन प्राप्ति की प्रार्थना करते हुए पूजा में प्रयोग की गई हल्दी, धनिया, कमलगट्टा, दूर्वा आदि को एक कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखना चाहिए।

कुबेर पूजा का लाभ

कुबेर देव को धन का अधिपति कहा जाता है। माना जाता है कि पूरे विधि- विधान से जो भी कुबेर देव की पूजा करता है उसके घर में कभी धन संपत्ति की कभी कमी नहीं रहती है| 

नोट – मान्यतानुसार कुबेर देव की पूजा सूर्य अस्त के बाद प्रदोष काल में करनी चाहिए। वरना पूजा का उचित फल प्राप्त नहीं होता है।